उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में जैसे जैसे चुनाव का वक़्त पास आ रहा है, सियासी पारा भी उसी रफ़्तार से चढ़ रहा है ! सभी दलों के नेताओं के तेवर अचानक ही तीखें हो गए हैं! नेताओं के लोक लुभावने वादे, आरोप- प्रत्यारोप, दोनों ही मीडिया में सुर्खियाँ बटोर रहे हैं! अगर नेताओं की बात छोड़ भी दें तो आम लोगों की बातों से भी ये ही लगता है कि इन दोनों ही राज्यों में एक बार फिर से सियासी मौसम ने दस्तक दे दी है! हर कोई अपने अपने तरीके से नेताओं के बयानों पर प्रतिक्रिया दे रहा है ! इस बीच भ्रष्टाचार और महंगाई जैसे असल मुद्दे पीछे रह गए हैं ! मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नज़र गड़ाए नेताओं की बातों से तो यही लगता है कि आम आदमी पर सीधे असर करने वाले इन समस्याओं के लिए कम से कम वे ( राहुल, मायावती या कोई और) ज़िम्मेदार नहीं है !
उत्तर प्रदेश के चुनावी दौरे पर निकले कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी अपने बयानों के कारण सबसे ज्यादा सुर्खियाँ में हैं! उनके निशाने पर ख़ास तौर पर उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती और समाजवादी पार्टी हैं! मायावती सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए राहुल ने कुछ ऐसे बयान दिए जिन पर विवाद उत्पन्न हो गया! उन्होंने समाजवादी पार्टी को भी नहीं बख्शा! हाँ बीजेपी पर अभी तक उन्होंने कोई ऐसा वार नहीं किया है जिसका ज़िक्र करना ज़रूरी हो! इसका एक कारण संसद का शीतकालीन सत्र भी हो सकता! राहुल नहीं चाहेगें कि बीजेपी उनके बयान को मुद्दा बनाकर संसद में हंगामा करें! दूसरा कारण ये है कि राहुल को यूपी में बीजेपी से ज्यादा ख़तरा नहीं लगता ! उन्हें सपा और बसपा से टक्कर की उम्मीद है!
राहुल गांधी के बयानों से ऐसा लगता है कि वो ज़रुरत से ज्यादा स्मार्ट बनने की कोशिश कर रहे हैं! उनका ये कहना कि कांग्रेस शासित राज्यों में लोग खुश हैं बिल्कुल ग़लत है! आन्ध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में तो कांग्रेस की सरकार है. दोनों ही राज्यों में अब तक सैकड़ों किसान आत्महत्या कर चुके हैं ! दिल्ली राज्य में भी कांग्रेस की सरकार है! यहाँ महिलाएं कितनी (अ)सुरक्षित हैं ये किसी से छुपा नहीं है! यूपी को पहले नंबर पर लाने का उनके दावे पर शायद ही कोई यक़ीन करें! राहुल से सवाल पूछा जाना चाहिए कि वो उस एक कांग्रेस शासित राज्य का नाम बताएं जो नंबर वन पर है! ऐसा भी नहीं है कि यूपी में कभी कांग्रेस की सरकार बनी ही न हो! यूपी में कांग्रेस की सरकार तो कई बार बनी लेकिन यूपी नंबर वन एक बार भी नहीं बना! फिर राहुल इस बार किस दम पर यूपी को नंबर बनाने की बात कर रहे हैं!
सच तो ये है कि आज कांग्रेस पार्टी के हर दावे खोखले नज़र आते हैं! वो चाहे कोई भी दावा क्यों न हो! देशभर में व्याप्त भ्रष्टाचार की बात खुद कबूलने वाले, राजीव गांधी से लेकर राहुल गांधी तक इसे ख़त्म करना तो दूर, कम तक भी नहीं कर पाए! तो फिर किस बिना पर राहुल ये कह रहे हैं कि यूपी में कांग्रेस की सरकार आ जाने से लोगों की सभी परेशानियों का हल हो जाएगा! जबकि आज हर व्यक्ति भ्रष्टाचार से सबसे ज़्यादा पीड़ित है! पिछले आम चुनावों में हमारे पीएम मनमोहन सिंह ने वादा किया था कि यदि उनकी सरकार सत्ता में दोबारा आती तो वे सौ दिनों में ही विदेशों में ज़मा काला धन वापस लाएंगे! उनकी सरकार तो सत्ता में आ गई लेकिन वो काला धन आज तक भी वापस नहीं आया! मनमोहन सिंह को अपना वादा याद भी है, अब तो ये भी लगता !
वैसे कांग्रेस ही क्यों? दूसरे दल भी कोई कम है! मायावती ने अपने साढ़े चार साल के कार्यकाल के दौरान जितना ध्यान मूर्तियों और पार्कों के निर्माण पर लगाया है अगर उतना ध्यान आम लोगों की तकलीफ़ों को दूर करने पर लगाया होता तो यूपी के चुनावों में सभी दलों पर भारी पड़ती ! भ्रष्टाचार के आरोपों से बुरी तरह घिरी माया सरकार ने भी लोगों को निराश ही किया! उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के शासनकाल में गुंडागर्दी अपने चरम पर थी! मुलायम सिंह के शासन में कभी ये लगा ही नहीं कि यूपी में कोई सरकार भी है! मुलायम और मायावती के शासनकाल की यदि तुलना की जाए तो मायावती, मुलायम से आगे हैं! राज्य में बीजेपी का प्रदर्शन भी कोई ख़ास नहीं रहा है! पिछले चुनावों में पार्टी को क़रारी हार का सामना करना पड़ा था! इस बार भी कम से कम उत्तर प्रदेश ऐसे कोई आसार नज़र नहीं आ रहे हैं कि बीजेपी की सरकार बन जाए! कारण बस एक कि ये पार्टी भी मतदाता की उम्मीदों पर पूरी तरह खरी नहीं उतरी!
ये इस उत्तर प्रदेश या कहें कि पूरे देश का दुर्भाग्य है कि यहां के सियासी दल चुनाव के मौकों पर तो जनता के लिए आसमां से तारे तोड़ लाने तक का वादा करते हैं लेकिन चुनाव जीतने पर सब कुछ भूल जाते हैं! और जब विकास नहीं होता तो इसका ठीकरा विपक्षी दलों पर फोड़ते हैं! उत्तर प्रदेश में यही हो रहा है! प्रदेश के पिछड़ेपन के लिए कांग्रेस, मायावती और मुलायम को ज़िम्मेदार बता रही है तो ये दल भी कांग्रेस के साथ -२ एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं! जबकि हक़ीक़त तो ये है उत्तर प्रदेश के विकास के लिए एक भी दल ने गंभीरता नहीं दिखाई! सत्ता में आने पर सभी दलों ने अपने अपने हितों के सामने आम लोगों के हितों की बलि ले ली! और ये क्या कम दुर्भाग्य की बात है कि एक बार फिर से मतदाताओं को इन्हीं दलों में से किसी एक को चुनना होगा! क्योंकि मतदाता के पास और कोई रास्ता ही नहीं है !
इटली के कानून अनुसार राहुल भारत के मुख्या नहीं बन सकते है। जो कानून गलती से यहाँ भी कार्य करता है।
ReplyDeleteपरिपक्व राजनीतिक समझ का कोई पैमाना है तो उसके अनुसार राहुल अभी मंद बुद्धि है. अच्छा आलेख. बधाई.
ReplyDeleteसचमुच बहुत निराशाजनक परिदृश्य है ....और विकल्पहीनता तारी है
ReplyDeleteसटीक विश्लेषण .रही बात मनमोहन सिंह जी के काला धन वापस मंगवाने की तो ज़नाब ४९२ अरब डॉलर की मिलकियत तो राहुल के नाम है स्विस खाते में ,नौकरी कौन गँवाए स्विस खाते के चक्कर में .राहुल बाबा तो वैसे भी emotionally unstable शख्शियत हैं हर भाषण में गलती करने की उनकी प्रवृत्ति अंतरजात है .
ReplyDeleteसही मुद्दे को लेकर बहुत बढ़िया आलेख लिखा है आपने! मनमोहन सिंह के बदले राहुल गाँधी प्रधानमंत्री बन जाये यही अधिकतर लोग चाहते हैं !
ReplyDeleteआपने बहुत ही शानदार पोस्ट लिखी है. इस पोस्ट के लिए Ankit Badigar की तरफ से धन्यवाद.
ReplyDelete