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Saturday 19 November 2011

खोखला है 'भारत निर्माण' का दावा!



                 भारत सरकार का  'भारत निर्माण' का विज्ञापन  सुनते ही एक अजीब अहसास होता है!  विज्ञापन में बड़े प्यारे  और मीठें-मीठें  शब्दों  में ये साबित किया जाता है कि कैसे भारत निर्माण हो रहा है!  विकास ही नहीं,  कई गुना  विकास हो रहा है!  कुछ देर तो थोड़ी सी ख़ुशी का अहसास होता है कि चलो कम से कम 'भारत निर्माण' तो हो रहा है !  लेकिन थोड़ी देर में ही दिमाग़ पर पड़े ख़ुशफ़हमी के परदे एक -एक कर हटने लगते हैं और  कई तरह के सवाल फन उठाने लगते हैं  जिनका उत्तर कहीं भी नहीं मिलता !  ये विश्वास  ही नहीं होता कि 'भारत निर्माण' हो रहा है!   अगर हो रहा है तो वो कौनसा भारत है! आपको पता हो तो अवश्य टिप्पड़ी के माध्यम से हमारा ज्ञानवर्धन  करना!  अगर न भी बताओ तो कम से कम अपने आस-पास  नज़र डालें  और भारत निर्माण के दावे की हक़ीक़त को खंगाले! 
  
                    दीन - दुनिया की ख़बरों  में थोड़ी सी भी  दिलचस्पी रखने वालों को ये पता है कि आज भी हमारे देश में लाखों लोग भूखे पेट सोते हैं!  देश का अन्नदाता ग़रीबी से तंग आकर ख़ुद अपनी जान ले ने के लिए मज़बूर है!  भ्रष्टाचार को ख़त्म करने के  लिए ७० साल से ऊपर के एक वृद्ध को कईं दिनों तक आमरण अनशन करना पड़ता है!  लेकिन फिर  भी निराशा और धोखे के सिवाय कुछ नहीं मिलता!  धर्म और जाति में  बंटा  भारतीय समाज बेईमानों और अपराधियों को चुनकर सत्तासीन कर  देता है!  चंद वोटों की ख़ातिर सत्तासीन तुष्टिकरण की राजनीति  में व्यस्त हैं!   देश के भावी प्रधानमंत्री ख़ुद  राज्य विशेष के लोगों को भिखारी साबित करने पर तुले हैं!  आंकड़ों की ज़ुबान की कोई  क़ीमत हो तो आप ये जानकार हैरान हो सकते हैं कि आज भी हमारे देश में १ करोड़  ७० लाख बाल श्रमिक हैं! ये बात ख़ुद सरकार ने संसद में स्वीकार की है!  मतलब  वास्तव ये सँख्या ज़्यादा  ही होगी!  स्कूल  ना जाने वाले बच्चों को भी इसमें जोड़ दिया जाए अर्थात उन्हें भी बाल श्रमिक मान लिया जाए  तो  ये सँख्या और बढ़ जाएगी!  कम से कम २ करोड़ लोगों को पीने का स्वच्छ पानी भी नसीब नहीं है!  एक और आंकड़े पर भी तवज्जों  दें!  वो ये कि भारत में लगभग ६. ६७ करोड़ लोग खुले में शौच करते हैं ! है न ये शर्मनाक !  हक़ीक़त तो ये है कि हम अभी तक अपने लोगों को  मूलभूत  सुविधाएं भी नहीं उपलब्ध करा पाएं!   इस पर तुक्का ये कि भारत निर्माण हो रहा है!   भारत निर्माण के दावों की पोल खोलने  वाले आंकड़े तो इतने हैं कि आप  पढ़ते -२ थक जाओगे लेकिन ये ख़त्म नहीं होंगे! 

                     ज़रा दूसरे मोर्चे पर  भी इस दावे की हकीकत परखें!  चीन की दादागिरी के सामने अक्सर हमारे पसीने छूटने लगतें हैं!   सालभर में ९० बार चीनी सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश में घुसपैठ की!  और हम डर की वजह से ये कह कर दुम दबा लेते हैं कि सीमारेखा  स्पष्ट न होने की वज़ह  से ऐसा हो जाता है!  पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद समय - पर हमको ज़ख्मी कर देता है!   और हम केवल  फुफकार कर रह जाते हैं!  अपने देश में ही पूर्वोत्तर राज्यों के आंतरिक हालात हमें चीख चीख कर बताते हैं कि सत्तासीनों अब तो अपनी ऑंखें खोलो! लेकिन  सत्तासीनों की कुम्भकर्णी नीद टूटने का नाम ही नहीं लेती!  अलग राज्य के  लिए संघर्ष कर रहे तेलंगाना के लोग भारत निर्माण की हकीकत के गवाह है ! भारत निर्माण तो दूर उनके लिए  'तेलंगाना' का निर्माण भी नहीं हो पा रहा!  कमरतोड़   महंगाई  के चंगुल में  जकड़ा आम आदमी बुरी तरह  क़राह रहा है!  देश में महिलाओं के  साथ दुराचार और  दुर्व्यवहार  के मामलों की संख्या किसी के भी दिमाग़  की बत्ती गुल कर देगी!  तेज़ी से  बढ़ती अपराधिक घटनाओं की संख्या हमें क्या सन्देश  दे रही है?   चुनावों के वक़्त नेता खुद ये स्वीकार करते हैं कि फलां समुदाय के लोग बेहद ग़रीब हैं उनको आरक्षण देना है ! एक और समुदाय के लोगों को विशेष  पैकेज देना हैं, क्योंकि उस समुदाय के लोगों की  आर्थिक हालत ठीक नहीं है!   जब आप ख़ुद ही कह रहे हो कि  पूरे के पूरे समुदाय की हालत ख़राब हैं तो फिर  ये 'भारत निर्माण' का ढिंढोरा पीटने की क्या आवश्यकता है?   
                             
                       सच्चाई थोड़ी कड़वी  ज़रूर होती है लेकिन सच्चाई होती है! और सच्चाई यही है कि चंद लोगों की अमीरी को देखकर और कुछ लोगों के चेहरे पर मुस्कराहट लाकर आप 'भारत निर्माण' नहीं कर सकते!  'भारत निर्माण' के लिए दूरदर्शी,  स्वार्थरहित, ईमानदार  और सक्षम नेतृत्व की आवश्यकता है !   लेकिन  बड़े दुःख के साथ ये स्वीकार करना पड़ता है कि हमारे देश का वर्तमान  नेतृत्व में  इन गुणों का सर्वथा अभाव है!  ये तय है कि जब तक  मज़बूत इच्छाशक्ति के साथ ईमानदारी से इस दिशा में  प्रयास नहीं किया जाएगा तब तक भारत निर्माण की बात करना लोगों को बरगलाने के सिवा कुछ भी नहीं! 

11 comments:

  1. आपके लेख से सहमत हूँ,सुंदर आलेख पसंद आया,...
    मुख्य ब्लॉग काव्यांजली में स्वागत है,

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  2. जब तक कोंग्रेस का हाथ आम आदमी की जेब में है भारत निर्माण ऐसे ही होता रहेगा जैसे हो रहा है चंद अमीरों की आय के आंकड़े देश की कुल औसत आय बढाते रहेंगें नेता मनमोहनी आँखें नहीं आंकड़े दिखाते रहेंगें .सारगर्भित पोस्ट के लिए बधाई .सुलभ शौचालय में औरतों के लघु शंका जाने पेशाब जाने के भी दो रूपये लगतें हैं .

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  3. जब तक कोंग्रेस का हाथ आम आदमी की जेब में है भारत निर्माण ऐसे ही होता रहेगा जैसे हो रहा है चंद अमीरों की आय के आंकड़े देश की कुल औसत आय बढाते रहेंगें नेता मनमोहनी आँखें नहीं आंकड़े दिखाते रहेंगें .सारगर्भित पोस्ट के लिए बधाई .सुलभ शौचालय में औरतों के लघु शंका जाने पेशाब जाने के भी दो रूपये लगतें हैं .

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  4. ब्लॉगिंग में आपका स्वागत है और मेरे यहाँ पधारने के लिए धन्यवाद. अभी तक हमारी परंपरा रही है कि विकास के नाम पर कुछ लोगों ने देश लूटा है. देखते हैं उसकी मियाद ख़त्म होने में और कितना समय लगता है.

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  5. बहुत बढ़िया पोस्ट ! उम्दा प्रस्तुती!
    मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
    http://seawave-babli.blogspot.com

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  6. baht badiya post bilkul saty likha hai

    mere post par aane ke liye sukriya

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  7. बहुत सुंदर अच्छी पोस्ट ,...मेरे नए पोस्ट में स्वागत है,

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  8. आपके ब्लाँग पर इतना सुन्दर दृश्य है कि उसे बार-बार देखने की इच्छा हुई।प्रस्तुति भी अच्छी है।

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  9. Pahle insaan ke andar insaniyat ka nirman ho fir VISHWA MEIN BHARAT ka nirmaan.
    Achha prayas hai blog ke jariye apni bat kahne ka.
    Bahut achha blog.
    Sadhuwad.

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