tag:blogger.com,1999:blog-34755940573873587412024-02-20T08:55:34.174-08:00Tv100 न्यूज़.....१००% न्यूज़!उत्तराखंड का नं० १ न्यूज़ चैनल!Tv100http://www.blogger.com/profile/18382152690723183394noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-3475594057387358741.post-39721653391805913232011-11-29T13:47:00.000-08:002011-11-29T14:11:06.905-08:00लोकपाल बिल पर सरकार की पैंतरेबाज़ी !<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="color: #20124d;"><b> आख़िरकार संसद की स्थाई समिति ने लोकपाल बिल का ड्राफ्ट तैयार कर ही लिया! बिल में प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे से बाहर रखे जाने की सिफारिश की गई है! लेकिन ऐसे कंपनियां, मीडिया फर्में और ग़ैर सरकारी संगठनो को लोकपाल के दायरे में लाने की बात कही गई है जिनको सरकार या विदेशों से कम से कम 10 लाख या इससे ज्यादा की डोनेशन मिली हो! ज़ाहिर है इस प्रावधान से अरविन्द केजरीवाल और किरण बेदी के NGOs पर नज़र रखी जा सकेगी! रामलीला मैदान में अन्ना के साथ खड़ा दिखाई दिया मीडिया को भी इसके दायरे में लाने की सिफारिश से लगता है कि सरकार मीडिया को भी सबक सिखाना चाहती है! आम आदमी को इससे कोई आपत्ति नहीं है कि ऐसा क्यों किया जा रहा है! आम आदमी की आपत्ति ये है कि लोकपाल बिल के ड्राफ्ट से ये कहीं से भी नहीं लगता कि ये एक सशक्त और प्रभावशाली लोकपाल बिल है! दरअसल ना तो इस ड्राफ्ट में प्रधानमंत्री को इसके दायरे में लाने की बात कहीं गई है और ना ही न्यायपालिका या सीबीआइ को! समूह सी और डी के कर्मचारियों को भी इस के दायरे में नहीं लाया जाएगा! ज़ाहिर है वर्तमान ड्राफ्ट बेहद कमज़ोर है! </b></span><b style="color: #20124d;">इस ड्राफ्ट से केवल ये सन्देश जाता है कि </b><b style="color: #20124d;"> सरकार, भ्रष्टाचारियों के बजाय उन लोगों पर लगाम चाहती है जो भ्रष्टाचार के विरुद्ध जंग छेड़े हुए हैं! कुल मिलाकर ड्राफ्ट निराशाजनक और दंतहीन है! </b></div><div style="text-align: justify;"><b><span class="Apple-style-span" style="color: #783f04;"><br />
</span></b></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="color: #3d85c6; font-size: x-large;"><b>नक्सली समर्थक </b><b>या देशद्रोही </b></span><b><span class="Apple-style-span" style="color: #3d85c6; font-size: x-large;">!</span></b></div><div style="text-align: justify;"><b><span class="Apple-style-span" style="color: #783f04;"> </span></b><br />
<b><span class="Apple-style-span" style="color: #cc0000;"> कट्टर नक्सली 'कोटेश्वर राव' उर्फ़ किशन जी के मारे जाने पर जिस तरह से कुछ तथाकथित सामजिक संगठनों और नेताओ ने उसे फ़र्ज़ी </span></b><span class="Apple-style-span" style="color: #cc0000;"><b>मुठभेड़</b><b> में मार गिराने का दावा किया, उसके मारे जाने की जाँच की मांग की और उसके हत्यारों को फांसी देने की मांग की है! उससे एक बार फिर ये साबित हो गया है कि हमारे देश में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो अपराधियों , नक्सलियों और आतंकवादियों के </b><b>ना केवल</b><b> समर्थक हैं बल्कि उनके मानवाधिकारों को लेकर हद से ज्यादा चिंतित भी हैं! इन्हें केवल गुमराह कह देना ही पर्याप्त नहीं! इनके (कु)कर्म इन्हें देशद्रोहियों की श्रेणी में रखते हैं! ये वही लोग हैं जिन्होंने' इनके द्धारा मारे जाने वाले हज़ारों निर्दोष लोगों की हत्या पर कभी अफ़सोस तक भी ज़ाहिर नहीं किया! किशन जी के नेतृत्व में नक्सलियों द्धारा थोक में मारे गए जवानों की </b><b>इन्होंने</b><b> कभी निंदा तक नहीं की! लेकिन अब जब किशन जी को भी वही मिला जो वो अब तक लोगों को बाँट रहा था, तब यही नक्सली समर्थक अचानक जैसे नींद से जाग गए हो! </b></span><b style="color: #cc0000;">और तुरंत सरकार और जवानों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने लगे! फ़र्ज़ी मुठभेड़ का आरोप लगाने लगे! सवाल उठता है कि पिछले दो दशकों से सैकड़ों निर्दोष लोगों और जवानों के क़ातिल देशद्रोही 'किशन जी' के प्रति इतना लगाव, लेकिन अपने देश की ख़ातिर शहीद होने वाले शहीदों के प्रति इनकी बेरुख़ी क्या उचित है! क्या इनका व्यवहार देशद्रोह की श्रेणी में नहीं आता? देशवासियों को गुमराह करने के आरोप में </b><b style="color: #cc0000;">क्या इन्हें, </b><b style="color: #cc0000;">इनके सही स्थान पर यानि की ज़ेल में नहीं भेज देना चाहिए? </b></div><div style="text-align: justify;"><b><span class="Apple-style-span" style="color: #cc0000;"><br />
</span></b></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="color: #783f04;"><b><br />
</b></span></div></div>Tv100http://www.blogger.com/profile/18382152690723183394noreply@blogger.com11tag:blogger.com,1999:blog-3475594057387358741.post-71960556409140729382011-11-25T12:20:00.000-08:002011-11-25T13:42:05.589-08:00आखिर राहुल पर भरोसा क्यों करें?<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: justify;"><b><span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;"> उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में जैसे जैसे चुनाव का वक़्त पास आ रहा है, सियासी पारा भी उसी रफ़्तार से चढ़ रहा है ! सभी दलों के नेताओं के तेवर अचानक ही तीखें हो गए हैं! नेताओं के लोक लुभावने वादे, आरोप- प्रत्यारोप, दोनों ही मीडिया में सुर्खियाँ बटोर रहे हैं! अगर नेताओं की बात छोड़ भी दें तो आम लोगों की बातों से भी ये ही लगता है कि इन दोनों ही राज्यों में एक बार फिर से सियासी मौसम ने दस्तक दे दी है! हर कोई अपने अपने तरीके से नेताओं के बयानों पर प्रतिक्रिया दे रहा है ! इस बीच भ्रष्टाचार और महंगाई जैसे असल मुद्दे पीछे रह गए हैं ! मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नज़र गड़ाए नेताओं की बातों से तो यही लगता है कि </span></b><b><span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;">आम आदमी पर सीधे असर करने वाले इन समस्याओं के लिए कम से कम वे ( राहुल, मायावती या कोई और) ज़िम्मेदार नहीं है ! </span></b></div><div style="text-align: justify;"><b><span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;"><br />
</span></b></div><div style="text-align: justify;"><b><span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;"> उत्तर प्रदेश के चुनावी दौरे पर निकले </span></b><b><span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;"> कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी अपने बयानों के कारण सबसे ज्यादा सुर्खियाँ में हैं! उनके निशाने पर ख़ास तौर पर उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती और समाजवादी पार्टी हैं! मायावती सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए राहुल ने कुछ ऐसे बयान दिए जिन पर विवाद उत्पन्न हो गया! उन्होंने समाजवादी पार्टी को भी नहीं बख्शा! हाँ बीजेपी पर </span></b><b><span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;">अभी तक </span></b><b><span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;"> उन्होंने कोई ऐसा वार नहीं किया है जिसका ज़िक्र करना ज़रूरी हो! इसका एक कारण </span></b><b><span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;">संसद का शीतकालीन </span></b><b><span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;"> सत्र भी हो सकता! राहुल नहीं चाहेगें कि बीजेपी उनके बयान को मुद्दा बनाकर संसद में हंगामा करें! दूसरा कारण ये है कि राहुल को यूपी में </span></b><b><span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;">बीजेपी से</span></b><b><span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;"> ज्यादा ख़तरा नहीं लगता ! उन्हें सपा और बसपा से टक्कर की उम्मीद है! </span></b></div><div style="text-align: justify;"><br />
<b><span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;"> राहुल गांधी के बयानों से ऐसा लगता है कि वो ज़रुरत से ज्यादा स्मार्ट बनने की कोशिश कर रहे हैं! उनका ये कहना कि कांग्रेस शासित राज्यों में लोग खुश हैं बिल्कुल ग़लत है! आन्ध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में तो कांग्रेस की सरकार है. दोनों ही राज्यों में अब तक सैकड़ों किसान आत्महत्या कर चुके हैं ! दिल्ली राज्य में भी कांग्रेस की सरकार है! यहाँ महिलाएं कितनी (अ)सुरक्षित हैं ये किसी से छुपा नहीं है! यूपी को पहले नंबर पर लाने का उनके दावे पर शायद ही कोई यक़ीन करें! राहुल से सवाल पूछा जाना चाहिए कि वो उस एक कांग्रेस शासित राज्य का नाम बताएं जो नंबर वन पर है! ऐसा भी नहीं है कि यूपी में कभी कांग्रेस की सरकार बनी ही न हो! यूपी में कांग्रेस की सरकार तो कई बार बनी लेकिन यूपी नंबर वन एक बार भी नहीं बना! फिर राहुल इस बार किस दम पर यूपी को नंबर बनाने की बात कर रहे हैं! </span></b></div><div style="text-align: justify;"><b><span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;"><br />
</span></b><br />
<b><span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;"> </span></b><b><span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;">सच तो ये है कि आज कांग्रेस पार्टी के हर दावे खोखले नज़र आते हैं! वो चाहे कोई भी दावा क्यों न हो! </span></b><b><span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;"> देशभर में व्याप्त भ्रष्टाचार की बात खुद कबूलने वाले, राजीव गांधी से लेकर राहुल गांधी तक इसे ख़त्म करना तो दूर, कम तक भी नहीं कर पाए! तो फिर किस बिना पर राहुल ये कह रहे हैं कि यूपी में कांग्रेस की सरकार आ जाने से लोगों की सभी परेशानियों का हल हो जाएगा! जबकि </span></b><b><span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;">आज </span></b><b><span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;">हर व्यक्ति भ्रष्टाचार से सबसे ज़्यादा पीड़ित है! पिछले आम चुनावों में </span></b><b><span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;">हमारे पीएम मनमोहन सिंह ने </span></b><b><span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;">वादा </span></b><b><span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;">किया </span></b><b><span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;">था कि यदि उनकी सरकार सत्ता में दोबारा आती तो वे </span></b><b><span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;">सौ दिनों में ही विदेशों में ज़मा काला धन वापस लाएंगे! उनकी सरकार तो सत्ता में आ गई लेकिन वो काला धन आज तक भी वापस नहीं आया! मनमोहन सिंह को अपना वादा याद भी है, अब तो ये भी लगता ! </span></b><br />
<b><span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;"><br />
</span></b><br />
<span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;"><b> वैसे कांग्रेस ही क्यों? दूसरे दल भी कोई कम है! मायावती ने अपने साढ़े चार साल के कार्यकाल के दौरान जितना ध्यान मूर्तियों और पार्कों के निर्माण पर लगाया है अगर उतना ध्यान आम लोगों की तकलीफ़ों को दूर करने पर लगाया होता तो यूपी के चुनावों में सभी दलों पर भारी पड़ती ! भ्रष्टाचार के आरोपों से बुरी तरह घिरी माया सरकार ने भी लोगों को निराश ही किया! उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के शासनकाल में गुंडागर्दी अपने चरम पर थी! मुलायम सिंह के शासन में कभी ये लगा ही नहीं कि यूपी में कोई सरकार भी है! मुलायम और मायावती के शासनकाल की यदि तुलना की जाए तो मायावती, मुलायम से आगे हैं! राज्य में बीजेपी का प्रदर्शन भी कोई ख़ास नहीं रहा है! पिछले चुनावों में पार्टी को क़रारी हार का सामना करना पड़ा था! इस बार भी कम से कम उत्तर प्रदेश ऐसे कोई आसार नज़र नहीं आ रहे हैं कि बीजेपी की सरकार बन जाए! कारण बस एक कि ये पार्टी भी मतदाता की उम्मीदों पर पूरी तरह खरी नहीं उतरी! </b></span><br />
<span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;"><b><br />
</b></span><br />
<span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;"><b> ये इस उत्तर प्रदेश या कहें कि पूरे देश का दुर्भाग्य है कि यहां के सियासी दल चुनाव के मौकों पर तो जनता के लिए आसमां से तारे तोड़ लाने तक का वादा करते हैं लेकिन चुनाव जीतने पर सब कुछ भूल जाते हैं! और जब विकास नहीं होता तो इसका ठीकरा विपक्षी दलों पर फोड़ते हैं! उत्तर प्रदेश में यही हो रहा है! प्रदेश के पिछड़ेपन के लिए कांग्रेस, मायावती और मुलायम को ज़िम्मेदार बता रही है तो ये दल भी कांग्रेस के साथ -२ एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं! जबकि हक़ीक़त तो ये है उत्तर प्रदेश के विकास के लिए एक भी दल ने गंभीरता नहीं दिखाई! सत्ता में आने पर सभी दलों ने अपने अपने हितों के सामने आम लोगों के हितों की बलि ले ली! और ये क्या कम दुर्भाग्य की बात है कि एक बार फिर से मतदाताओं को इन्हीं दलों में से किसी एक को चुनना होगा! क्योंकि मतदाता के पास और कोई रास्ता ही नहीं है ! </b></span><br />
<span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;"><b><br />
</b></span><br />
<span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;"><b><br />
</b></span></div></div>Tv100http://www.blogger.com/profile/18382152690723183394noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-3475594057387358741.post-90129532403957309572011-11-19T06:37:00.000-08:002011-11-19T07:19:18.999-08:00खोखला है 'भारत निर्माण' का दावा!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;"><br />
</span><br />
<div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; line-height: 25px;"><b> भारत सरकार का 'भारत निर्माण' का विज्ञापन सुनते ही एक अजीब अहसास होता है! विज्ञापन में बड़े प्यारे और मीठें-मीठें शब्दों में ये साबित किया जाता है कि कैसे भारत निर्माण हो रहा है! विकास ही नहीं, कई गुना विकास हो रहा है! कुछ देर तो थोड़ी सी ख़ुशी का अहसास होता है कि चलो कम से कम '</b></span><b style="font-family: arial; line-height: 25px;">भारत निर्माण'</b><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; line-height: 25px;"><b> तो हो रहा है ! लेकिन थोड़ी देर में ही दिमाग़ पर पड़े ख़ुशफ़हमी के परदे एक -एक कर हटने लगते हैं और कई तरह के सवाल फन उठाने लगते हैं जिनका उत्तर कहीं भी नहीं मिलता ! ये विश्वास ही नहीं होता कि 'भारत निर्माण' हो रहा है! अगर हो रहा है तो वो कौनसा भारत है! आपको पता हो तो </b></span><b style="font-family: arial; line-height: 25px;">अवश्य</b><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; line-height: 25px;"><b> टिप्पड़ी के माध्यम से हमारा ज्ञानवर्धन करना! अगर न भी बताओ तो कम से कम अपने आस-पास नज़र डालें और भारत निर्माण के दावे की हक़ीक़त को खंगाले! </b></span></span></div><div style="font-family: arial; line-height: 25px; text-align: justify;"><b><span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;"> </span></b></div><div style="font-family: arial; line-height: 25px; text-align: justify;"><b><span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;"> दीन - दुनिया की ख़बरों में थोड़ी सी भी दिलचस्पी रखने वालों को ये पता है कि आज भी हमारे देश में लाखों लोग भूखे पेट सोते हैं! देश का अन्नदाता ग़रीबी से तंग आकर ख़ुद अपनी जान ले ने के लिए मज़बूर है! भ्रष्टाचार को ख़त्म करने के लिए ७० साल से ऊपर के एक वृद्ध को कईं दिनों तक आमरण अनशन करना पड़ता है! लेकिन फिर भी निराशा और धोखे के सिवाय कुछ नहीं मिलता! धर्म और जाति में बंटा भारतीय समाज बेईमानों और अपराधियों को चुनकर सत्तासीन कर देता है! चंद वोटों की ख़ातिर सत्तासीन तुष्टिकरण की राजनीति में व्यस्त हैं! देश के भावी प्रधानमंत्री ख़ुद राज्य विशेष के लोगों को भिखारी साबित करने पर तुले हैं! आंकड़ों की ज़ुबान की कोई क़ीमत हो तो आप ये जानकार हैरान हो सकते हैं कि आज भी हमारे देश में १ करोड़ ७० लाख बाल श्रमिक हैं! ये बात ख़ुद सरकार ने संसद में स्वीकार की है! मतलब वास्तव ये सँख्या ज़्यादा ही होगी! स्कूल ना जाने वाले बच्चों को भी इसमें जोड़ दिया जाए अर्थात उन्हें भी बाल श्रमिक मान लिया जाए तो ये सँख्या और बढ़ जाएगी! कम से कम २ करोड़ लोगों को पीने का स्वच्छ पानी भी नसीब नहीं है! एक और आंकड़े पर भी तवज्जों दें! वो ये कि भारत में लगभग ६. ६७ करोड़ लोग खुले में शौच करते हैं ! है न ये शर्मनाक ! हक़ीक़त तो ये है कि हम अभी तक अपने लोगों को मूलभूत सुविधाएं भी नहीं उपलब्ध करा पाएं! इस पर तुक्का ये कि भारत निर्माण हो रहा है! भारत निर्माण के दावों की पोल खोलने वाले आंकड़े तो इतने हैं कि आप पढ़ते -२ थक जाओगे लेकिन ये ख़त्म नहीं होंगे! </span></b></div><div style="font-family: arial; line-height: 25px; text-align: justify;"><b><span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;"><br />
</span></b></div><div style="font-family: arial; line-height: 25px; text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;"> </span><b><span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;">ज़रा दूसरे मोर्चे पर भी इस दावे की हकीकत परखें! चीन की दादागिरी के सामने अक्सर हमारे पसीने छूटने लगतें हैं! </span><span class="Apple-style-span" style="color: red;">सालभर में ९० बार चीनी सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश में घुसपैठ की! और हम डर की वजह से ये कह कर दुम दबा लेते हैं कि सीमारेखा स्पष्ट न होने की वज़ह से ऐसा हो जाता है! पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद समय - पर हमको ज़ख्मी कर देता है! और हम केवल फुफकार कर रह जाते हैं! अपने देश में ही पूर्वोत्तर राज्यों के आंतरिक हालात हमें चीख चीख कर बताते हैं कि सत्तासीनों अब तो अपनी ऑंखें खोलो! लेकिन</span><span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;"> सत्तासीनों की कुम्भकर्णी नीद टूटने का नाम ही नहीं लेती! अलग राज्य के लिए संघर्ष कर रहे तेलंगाना के लोग भारत निर्माण की हकीकत के गवाह है ! भारत निर्माण तो दूर उनके लिए 'तेलंगाना' का निर्माण भी नहीं हो पा रहा! कमरतोड़ महंगाई के चंगुल में जकड़ा आम आदमी बुरी तरह क़राह रहा है! देश में महिलाओं के साथ दुराचार और दुर्व्यवहार के मामलों की संख्या किसी के भी दिमाग़ की बत्ती गुल कर देगी! तेज़ी से बढ़ती अपराधिक घटनाओं की संख्या हमें क्या सन्देश दे रही है? चुनावों के वक़्त नेता खुद ये स्वीकार करते हैं कि फलां समुदाय के लोग बेहद ग़रीब हैं उनको आरक्षण देना है ! एक और समुदाय के लोगों को विशेष पैकेज देना हैं, क्योंकि उस समुदाय के लोगों की आर्थिक हालत ठीक नहीं है! जब आप ख़ुद ही कह रहे हो कि पूरे के पूरे समुदाय की हालत ख़राब हैं तो फिर ये 'भारत निर्माण' का ढिंढोरा पीटने की क्या आवश्यकता है? </span></b></div><div style="font-family: arial; line-height: 25px; text-align: justify;"><b><span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;"> </span></b><br />
<b><span class="Apple-style-span" style="color: #351c75;"> सच्चाई थोड़ी कड़वी ज़रूर होती है लेकिन सच्चाई होती है! और सच्चाई यही है कि चंद लोगों की अमीरी को देखकर और कुछ लोगों के चेहरे पर मुस्कराहट लाकर आप 'भारत निर्माण' नहीं कर सकते! 'भारत निर्माण' के लिए दूरदर्शी, स्वार्थरहित, ईमानदार और सक्षम नेतृत्व की आवश्यकता है ! लेकिन बड़े दुःख के साथ ये स्वीकार करना पड़ता है कि हमारे देश का वर्तमान नेतृत्व में इन गुणों का सर्वथा अभाव है! ये तय है कि जब तक मज़बूत इच्छाशक्ति के साथ ईमानदारी से इस दिशा में प्रयास नहीं किया जाएगा तब तक भारत निर्माण की बात करना लोगों को बरगलाने के सिवा कुछ भी नहीं! </span></b></div></div>Tv100http://www.blogger.com/profile/18382152690723183394noreply@blogger.com11tag:blogger.com,1999:blog-3475594057387358741.post-84793662890204287652011-11-17T07:51:00.000-08:002011-11-17T07:53:17.945-08:00'रथपुरुष' की चुनौती!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: justify;"><b><span class="Apple-style-span" style="color: blue;"> भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ जनचेतना यात्रा पर निकले भाजपा के शीर्ष नेता लाल कृष्ण आडवाणी जिस तरह से सुर्खियाँ बटोर रहे हैं! उससे इतना तो स्पष्ट है कि आडवानी अपने मक़सद में काफी हद तक सफल रहे हैं ! </span><span class="Apple-style-span" style="color: purple;"> नहीं - नहीं </span><span class="Apple-style-span" style="color: #741b47;">इसका ये मतलब कतई नहीं कि आडवानी की इस यात्रा से कांग्रेस डर गई है या इससे भ्रष्टाचार के प्रति जन चेतना जागृत होगी </span><span class="Apple-style-span" style="color: magenta;">(क्योंकि देश में भ्रष्टाचार के प्रति तो पहले से ही काफ़ी जनचेतना है) ! </span><span class="Apple-style-span" style="color: purple;">ना</span><span class="Apple-style-span" style="color: #741b47;"> ही आडवानी की इस यात्रा से भ्रष्टाचार ख़त्म हो होगा ! मकसद में कामयाब होने का मतलब है कि आडवानी खुद की उपयोगिता </span><span class="Apple-style-span" style="color: blue;">सिद्ध करने और अपने आप को प्रासंगिक बनाएं रखने में सफल रहे हैं! आडवाणी की ये यात्रा किसी और के लिए नहीं बल्कि खुद को प्रधानमंत्री पद की दौड़ में बनायें रखने के लिए है! पार्टी में अपनी उपयोगिता को बनाये रखने के लिए है! आडवानी इस तथ्य से भलीभांति परिचित हैं कि सियासत में कब क्या हो जाए, ये कोई नहीं जानता! कभी भी वो अवसर आ सकता है जिसकी हसरत वर्षों से उनके दिल में है! आडवानी खुले तौर पर भले ही इसे स्वीकार न करें लेकिन एक बार देश का प्रधानमंत्री बनने के उनके सपने से सभी वाकिफ़ हैं! और वो सपना अभी भी पल रहा है! और अपने इसी सपने को साकार होता देखने की हसरत ने उन्हें एक बार फिर से रथ यात्रा निकानले पर मजबूर कर दिया! </span></b></div><div style="text-align: justify;"><b><span class="Apple-style-span" style="color: blue;"><br />
</span></b></div><div style="text-align: justify;"><b><span class="Apple-style-span" style="color: magenta;"><br />
</span></b></div><div style="text-align: justify;"><b><span class="Apple-style-span" style="color: magenta;"> कहने को तो बीजेपी में प्रधानमंत्री पद के कईं दावेदार हैं! लेकिन सच यही है कि आडवाणी की राजनीतिक हैसियत के आगे उनका क़द बेहद छोटा है! </span><span class="Apple-style-span" style="color: blue;">इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता कि आडवाणी ने बिहार से जब अपनी जन चेतना यात्रा शुरू की थी तो उस वक़्त उनके साथ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी थे! ये वही नीतीश कुमार हैं जिन्होंने बिहार विधान सभा चुनावों में नरेन्द्र मोदी को बिहार में चुनाव प्रचार करने से रोक दिया था! हालात आज भी कुछ अलग नहीं है! </span></b><b><span class="Apple-style-span" style="color: blue;">अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं कि जिस नरेन्द्र मोदी को बीजेपी प्रधानमंत्री के पद के लिए सबसे उपयुक्त दावेदार मानती है क्या वो मोदी, राजग ( भाजपा और सहयोगी दल, दोनों ) का भी सबसे उपयुक्त और पसंद का दावेदार होगा? इसका उत्तर है 'नहीं'! कम से कम नीतीश कुमार की पार्टी मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए समर्थन नहीं करेगी! वहीं आडवानी के साथ ऐसा बिल्कुल भी नहीं है! यहाँ पर ये बात भी गौर करने लायक़ है कि जनचेतना यात्रा लेकर जब आडवानी उड़ीसा (अब ओडिशा) पहुंचे तो उन्होंने वहां के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के ख़िलाफ़ एक भी शब्द नहीं कहा! सियासी हलकों में </span></b><b><span class="Apple-style-span" style="color: blue;">ये चर्चा ज़ोरों पर है कि कहीं आडवानी, बीजेपी और बीजेडी गठबंधन को फिर से पुनर्जीवित तो नहीं करना चाहते हैं ! इस बात की पुष्टि इससे भी होती है कि वाजपेयी सरकार के दौरान नवीन पटनायक </span></b><b><span class="Apple-style-span" style="color: blue;">आडवाणी को सबसे ज्यादा प्रिय थे! ज़ाहिर है आडवानी, नवीन पटनायक की सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर टिप्पड़ी कर नवीन पटनायक की नाराजगी नहीं मोल लेना चाहते थे! हो सकता है कि अडवाणी की हसरतों को पूरा करें के लिए नवीन की ना जाने कब ज़रुरत पड़ जाए! </span></b></div><div style="text-align: justify;"><b><span class="Apple-style-span" style="color: blue;"><br />
</span></b></div><div style="text-align: justify;"><b><span class="Apple-style-span" style="color: blue;"> </span></b></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="color: blue;"><b> देश के राजनीतिक हालात फिलहाल तो मध्यावधि चुनावों की और बिल्कुल भी संकेत नहीं कर हैं ! फिर भी यदि किसी वजह से देश में ऐसे हालात बनते हैं तो बीजेपी या कम से कम आडवानी को ये पूरा यक़ीन है कि बीजेपी का प्रदर्शन पिछले लोक सभा चुनवों के मुकाबले काफ़ी बेहतर रहेगा! इस यक़ीन की एक जायज़ वज़ह भी है! वर्तमान में संप्रग सरकार के ख़िलाफ़ लोगों में बहुत गुस्सा है! ख़ासकर भ्रष्टाचार को लेकर! और ये गुस्सा देशव्यापी है! ज़ाहिर है बीजेपी को चुनावों में </b></span><b style="color: blue;">इस गुस्से का लाभ</b><b style="color: blue;"> मिलने की पूरी संभावना है! और अगर ऐसा होता है तो राजग की और से प्रधानमंत्री पद के लिए आडवानी से ज़्यादा सर्वमान्य नेता के तौर पर किसी और के नाम पर सहमति बनना बहुत ही मुश्किल होगा! खुद आडवानी भी इस तथ्य से अच्छी तरह से वाकिफ़ हैं ! </b><b><span class="Apple-style-span" style="color: red;">इसलिए पहले भी कई रथ यात्रा निकाल चुके </span></b><span class="Apple-style-span" style="color: red;"><b>84 साल के आडवानी ने </b><b>एक बार फिर से भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ जनचेतना के नाम पर रथ यात्रा निकालने का साहस दिखया है और अपने विरोधियों के सामने वो चुनौती पेश की है जिसकी काट फिलहाल तो ना मोदी के पास है और ना ही RSS के! </b></span></div><div style="text-align: justify;"><b><span class="Apple-style-span" style="color: blue;"> </span></b></div><div style="text-align: justify;"><b> </b></div><div><div><div></div></div></div></div>Tv100http://www.blogger.com/profile/18382152690723183394noreply@blogger.com14tag:blogger.com,1999:blog-3475594057387358741.post-51156909204787058602011-11-16T08:34:00.000-08:002011-11-16T20:47:57.318-08:00इंसानियत के दुश्मनों के लिए एक सबक!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="color: #073763;"><b> १६ नवंबर२०११ को मथुरा की जिला अदालत ने 20 साल पुराने तिहरे हत्याकांड में </b><b>8 लोगों को </b><b>ओनर किलिंग का दोषी पाते हुए फांसी और २7 को उम्रकैद की सजा सुनाई ! </b><b>मथुरा जिला अदालत का ये फैसला अपने आप में एतिहासिक है! और इसकी प्रशंसा की जानी चाहिए!(हालाँकि भारत में समाज का एक वर्ग </b><b>फांसी की सजा</b><b> के हक़ में नहीं है) भारत में ये पहला मामला है जिसमे ८ लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई है! और २७ को उम्रकैद! ज़ाहिर है अदालत के इस फैसले की धमक लम्बे समय तक सुनाई देगी! ये फैसला इंसानियत के दुश्मनों के लिए एक सबक है! मथुरा की जिला अदालत के इस एतिहासिक फैसले के परिपेक्ष्य में उम्मीद की जानी चाहिए कि कम से कम अब तो लोग कानून के डर से ही सही , कभी इज्ज़त के नाम पर तो कभी किसी और बहाने से प्रेमी जोड़ों की जान नहीं लेंगे! ये फैसला ऐसे लोगों के एक सबक होना चाहिए! </b></span><br />
<div></div><b><span class="Apple-style-span" style="color: #073763;"><br />
</span></b><br />
<b><span class="Apple-style-span" style="color: #073763;"> इस मामले में कुल ५4 लोगों को आरोपी बनाया गया था! जिसमें अभी तक १3 लोगों की मौत भी हो चुकी है! और तीन नाबालिगों का ट्रायल किशोर वार्ड में विचाराधीन है! ये मुक़दमा पुरे बीस साल तक चला! मामला कुछ इस तरह था! २७ मार्च १९९१ को मथुरा जिले के बरसाना में पंचायत के फैसले के बाद ग्रामीणों ने एक युवती व दो युवकों को पेड़ पर लटका कर फांसी देने के बाद उनके शव जला दिए थे! अपराध बेहद संगीन था ! फांसी देने से पहले तीनो को पूरे गाँव के सामने बुरी तरह अपमानित किया, प्रताड़ित किया था! वहशीपन की सारी हदें इस मामले में पार की गई थी! ज़ाहिर है ऐसे अपराध को अंजाम देने वाले को लिए फांसी और उम्रकैद से कम कोई सजा हो ही नहीं सकती थी! </span></b></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="color: #073763;"><br />
</span></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="color: #073763;"><b> भारत में इज्ज़त के नाम पर जान लेने का सिलसिला पिछले कुछ सालों से काफी सुर्खियाँ बटोर रहा है! </b><b>अगर हम हाल के वर्षों में नज़र डाले तो तस्वीर एकदम साफ़ दिखाई देगी! </b><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; line-height: 32px;"> </span><b> हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आज भी इज्ज़त के नाम पर प्रेमी युगलों की जान लेने की घटनाएँ आम हैं ! इन प्रदेशों से एक दो नहीं बल्कि </b><b>सैकड़ों ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमे प्रेमी जोड़ों से जीने का हक उनके परिवार वालों और रिश्तेदारों ने सिर्फ इसीलिए छीन लिया क्योंकि वो अपने पसंद के व्यक्ति को जीवन साथी चुनना चाहते थे! </b><b> एक सभ्य समाज में सिर्फ प्रेम करने के लिए किसी की जान ले ली जाए इसे कभी स्वीकार नहीं किया जा सकता! </b></span></div><div style="text-align: justify;"><b><span class="Apple-style-span" style="color: #073763;"><br />
</span></b></div><div style="text-align: justify;"><b><span class="Apple-style-span" style="color: #073763;"> इसीलिए सवाल उठना लाज़मी है कि आखिर इज्ज़त के नाम पर जान लेने की ये मध्यकालीन परम्परा कब रुकेगी! क्या परिवार की इज्ज़त, इंसान की जान से ज्यादा कीमती है! क्या हमें किसी इंसान की जान सिर्फ इसीलिए लेने का हक़ कि वो अपनी ज़िन्दगी का फैसला खुद करना चाहता है? जबकि वो अपनी ज़िन्दगी के फैसले खुद करने लायक़ भी है! सवाल बहुत से है! लेकिन सबसे महत्वपूर्ण सवाल यही कि आखिर कब रुकेगा इज्ज़त के नाम जान लेने का ये सिलसिला? </span></b></div><div style="text-align: justify;"><b><span class="Apple-style-span" style="color: #073763;"><br />
</span></b></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="color: #073763;"><b> </b><b>हालाँकि एक अच्छी बात ये भी कि भारत का सुप्रीम कोर्ट ऐसे मामलों को लेकर बेहद सख्त है! इसकी पुष्टि इसी साल अगस्त में दिए </b><b>सुप्रीम कोर्ट के उस बयान से भी होती है जिसमें कहा गया था कि इज्ज़त के नाम पर जान लेने वालो को फांसी होनी चाहिए! मथुरा जिला अदालत के आज के फैसले को भी इसी बयान की एक कड़ी के रूप में देखा जाना चाहिए! और उम्मीद की जानी की सम्मान के नाम पर प्रेमी युगलों की जान लेने वाले, कानून के डर से ही सही, बाज़ आएंगे! </b></span></div><span class="Apple-style-span" style="color: #073763; line-height: 32px;"><br />
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</span></div>Tv100http://www.blogger.com/profile/18382152690723183394noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-3475594057387358741.post-42262657738018152162011-11-15T08:21:00.000-08:002011-11-15T08:21:22.853-08:00मायावती ने खेला चुनावी दांव!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: justify;"><b><span class="Apple-style-span" style="color: blue;"> उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने चुनाव से ठीक पहले अपना सियासी दांव खेल दिया है! जी हां! मायावती ने उत्तर प्रदेश को चार हिस्सों में बाँटने के अपने इरादे को अमली जामा पहनाने की पूरी तयारी कर ली है! इसके लिए मायावती ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र में ही इस प्रस्ताव को पारित कर केंद्र सरकार के पास भेजने का फेसला किया है! </span></b></div><b><span class="Apple-style-span" style="color: blue;"><br />
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<div style="text-align: justify;"><b><span class="Apple-style-span" style="color: blue;"> मायावती ने साफ़ कह दिया है कि पहल केंद्र सरकार को करनी है! यानी गेंद कांग्रेस के पाले में है! ये है मायावती का नया चुनावी दांव, जो यू0 पी० के गांवों में दर-दर भटकने वाले और यू० पी० की जनता को गुस्सा दिलाने वाले राहुल गांधी पर भरी पड़ सकता है! मायावती का कहना है की आने वाले शीतकालीन सत्र में इसे पास करके केंद्र के पास भेज दिया जाएगा! </span></b></div><b><span class="Apple-style-span" style="color: blue;"><br />
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<div style="text-align: justify;"><b><span class="Apple-style-span" style="color: blue;"> </span></b></div><div style="text-align: justify;"><b><span class="Apple-style-span" style="color: blue;"> उत्तर प्रदेश को विभाजित करने के मायावती के इस फैसले का विपक्षी दलों ने विरोध किया है! समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने इसे एक चुनावी शिगूफा कहा है! उनका कहना कि साढ़े चार साल तक प्रदेश को लूटने के बाद मायावती के पास जब कुछ नहीं बचा तो राज्य को चार भागों में बाँटने का शिगूफा छोड़ दिया है! वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी ने इसे एक सियासी चाल बताया है! भारतीय जनता पार्टी ने भी मायावती के इस निर्णय की आलोचना की है! भाजपा उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि चुनाव के पहले मायावती के इस फैसले की हकीक़त समझी जा सकती है! </span></b></div><b><span class="Apple-style-span" style="color: blue;"> </span></b><br />
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<b><span class="Apple-style-span" style="color: blue;"> </span></b></div>Tv100http://www.blogger.com/profile/18382152690723183394noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3475594057387358741.post-13036633109580030462011-11-14T12:33:00.000-08:002011-11-14T15:19:31.627-08:00राहुल के भाषण पर बवाल!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: justify;"><b> यू० पी० में विधानसभा चुनाव निकट आते ही सियासी पारा काफ़ी गरम हो गया है! एक दल, दूसरे दल को नीचा दिखाने का कोई भी मौका नहीं चूक रहा है! सभी राजनीतिक दलों में वोटरों को लुभाने की होड़ लगी है! कोई मुस्लिम कार्ड चल रहा है तो कोई ब्राह्मणों को लुभाने की कोशिश में है! एक - दूसरे पर जमकर आरोप- प्रत्यारोप लगा रहा रहे हैं! ज़ाहिर है ऐसे में सियासी विवाद पैदा होंगे ही ! इसलिए राहुल गांधी के एक बयान को लेकर जो विवाद पैदा हुआ है उस पर शायद ही किसी को आश्चर्य हो! हाँ... ! सियासी पारा काफ़ी ऊपर पहुँच गया</b>! </div><br />
<div style="text-align: justify;"> <b> पूरा माज़रा कुछ इस तरह से है कि यू० पी० में सोमवार को अपने चुनाव अभियान की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने अपने एक भाषण में कहा कि एक बयान पर सियासी बवाल मच गया है! एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि कब तक पंजाब जाकर मजदूरी करोगे? कब तक महाराष्ट्र जाकर भीख मांगोगे? राहुल के इस बयान से सियासी हलको में ऐसा भूचाल आया कि आने कई दिनों में भी ये शांत पढ़ जाए इसकी उम्मीद बेहद कम है! यहाँ तक कि महाराष्ट्र में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे तक ने राहुल के बयान की निंदा की है! दूसरे गैर कांग्रेसी दलों की प्रतिक्रिया भी बेहद तीखी और नाराजगी भरी है! </b></div><div style="text-align: justify;"><b><br />
</b></div><div style="text-align: justify;"><b><br />
</b></div><div style="text-align: justify;"><b> दरअसल राहुल के इस बयान से गैर कांग्रेसी राजनीतिक दलों को कांग्रेस को घेरने का मौका मिल गया है! वो राहुल के इस बयान को यू०पी० के लोगों का अपमान बता रहे हैं! बहुजन समाज पार्टी ने तो यहाँ तक कह डाला कि राहुल अपनी ज़बान को लगाम दें ! BSP, राहुल के एक पहले दिए बयान पर पहले से ही ख़फ़ा ! विकास के मुद्दे पर राहुल गांधी ने अपने पहले दिए एक बयान में कहा था कि यू० पी० के लोगों को गुस्सा क्यों नहीं आता? जिससे BSP के नेता काफी नाराज़ थे! मायावती ने पलट कर ये भी कह दिया था राहुल गांधी को केंद्र पर गुस्सा क्यों नहीं आता! </b></div><br />
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! </div>Tv100http://www.blogger.com/profile/18382152690723183394noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3475594057387358741.post-41267878296746875952011-11-14T11:02:00.000-08:002011-11-14T11:15:40.149-08:00उत्तराखंड में 'नई उद्योग प्रोत्साहन नीति' से उद्योगपतियों के चेहरे खिलें!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: justify;"><b><span class="Apple-style-span" style="color: #20124d;">उत्तराखंड में रोज़गार के मौक़े बढ़ाने के लिए और पलायन की पीड़ा से पहाड़ को निजात दिलाने के लिए राज्य सरकार ने संशोधित एकीकृत औद्योगिक प्रोत्साहन नीति के ज़रिए नया रास्ता तलाश है! इस नीति के तहत अब नैनीताल के Haldhuani और रामनगर के साथ ही देहरादून के ६५० मीटर से ज़्यादा ऊंचाई वाले इलाकों में Manufacturing और Pharmaceutical उद्योग लगाए जा सकेंगे! इसके अलावा जो इकाईयां पहले से मौजूद हैं उन्हें भी २५ फ़ीसदी पूंजी निवेश या २५ फ़ीसदी उत्पादन बढ़ाने पर मिलने वाली नीति के तहत सभी फ़ायदे मिलेंगे! इतना ही नहीं मार्च २०१५ तक लगाई जा चुकी यूनिटों को भी इस नीति के से दस सालों तक लाभ मिल सकेगा! उद्योगपति इस नीति को पहाड़ के लिहाज़ से बेहद फायदेमंद मान रहे हैं! </span></b></div><div style="text-align: justify;"><b><span class="Apple-style-span" style="color: #20124d;"><br />
</span></b></div><div style="text-align: justify;"><b><span class="Apple-style-span" style="color: #20124d;"> </span></b></div><div style="text-align: justify;"><b><span class="Apple-style-span" style="color: #20124d;"> पुरानी नीति में पहाड़ में उद्योगों के नाम पर ज़्यादातर होटल ही स्थापित हो पाए थे! राज्य सरकार ने २००८ की नीति को ज़्यादा फायदेमंद न पाते हुए इसमें संशोधन कर बेरोज़गारी और पलायन जैसी दिक्कतों को दूर करने की कोशिश की है! पर्वतीय इलाकों में उद्योग फलफूल सकें और यहाँ के नौजवानों को रोज़गार हासिल हो और पहाड़ में तरक्की की राह आसान हो- इन सभी बातों को ध्यान में रखकर नई औद्योगिक प्रोत्साहन नीति को लाया गया है! इस नीति में पहाड़ में कोई भी उद्योग लगाने के लिए पूंजी निवेश में छूट के साथ और कई दूसरी सहूलियतों का प्रावधान है! इसके अलावा वैट, बिजली और ज़मीन में भी कई तरह की छूट मिलेगी! </span></b></div><b><span class="Apple-style-span" style="color: #20124d;"><br />
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<div style="text-align: justify;"><b><span class="Apple-style-span" style="color: #20124d;"> संशोधित नीति को तैयार करने के लिए कई उद्योग संगठनों, सीआईआई, इंडस्ट्री संघ , पीएचडी और केजीसीसीआई से भी सलाह मशवरा लेकर उनके सुझावों को भी इसमें शामिल किया गया है! सरकार की इस अनूठी पहल की हर तरफ तारीफ़ हो रही है! </span></b><b><span class="Apple-style-span" style="color: #20124d;">उद्योगपति इस नीति को पहाड़ के लिहाज़ से बेहद फायदेमंद मान रहे हैं! </span></b></div><div style="text-align: justify;"><b><span class="Apple-style-span" style="color: #20124d;"><br />
</span></b></div><div style="text-align: justify;"><b><span class="Apple-style-span" style="color: #20124d;"> </span></b></div><div></div><b><span class="Apple-style-span" style="color: #20124d;"><br />
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<b><span class="Apple-style-span" style="color: #20124d;"><br />
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</div>Tv100http://www.blogger.com/profile/18382152690723183394noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3475594057387358741.post-86280152287427239172011-11-13T14:30:00.000-08:002011-11-13T14:30:57.530-08:00उत्तराखंड की ११ वीं सालगिरह पर राज्य सरकार ने की सौगातों की बौछार!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: justify;"><b><span style="color: #073763;"> उत्तराखंड की ११ वीं सालगिरह पर राज्य सरकार ने तोहफों की बौछार कर जनता को खुश होने का मौका दिया है ! चाहे वो किसान हो या सैनिक! व्यापारी हो या फेरीवाला- सभी के लिए मुख्यमंत्री की झोली से कुछ न कुछ सौगात ज़रूर निकली है! कारण.... मुख्यमंत्री जानते हैं कि हर तबके के कल्याण से ही देवभूमि में तरक्की की रफ़्तार को और तेज किया जा सकता है! </span></b></div><div style="text-align: justify;"><b><span style="color: #073763;"><br />
</span></b></div><div style="text-align: justify;"><b><span style="color: #073763;"> मुख्यमंत्री की सौगातों में कुछ का विवरण इस प्रकार है- छात्राएं अब परिवहन निगम की बसों में मुफ्त में सफ़र कर सकेंगी. वहीं शिक्षा ऋण पर ब्याज़ में छूट देकर युवाओं को खुश करने की कोशिश की गई है ! आईआईटी, आईआईएम, एनआईटी और मेडिकल समेत प्रतिष्ठित संस्थानों के लिए चुने जाने पर छात्र-छात्राओं को राज्य सरकार की तरफ़ से ५० हज़ार रुपए दिए जाएंगे! राज्य सरकार इस क़दम से युवाओं के चेरें खिल उठे हैं! किसानों के सरकार ने १०० पॉली हाउस बनाने का बनाने का फैसला किया है! जिसके लिए केंद्र की तरफ़ से मिलने वाले ५० फीसदी अनुदान के साथ राज्य सरकार भी ३० फीसदी अनुदान देगी! फल और सब्जियों की आवक पर २ फीसदी मंदी शुल्क ख़त्म करने, ६ करोड़ की लागत से हिल सीड कॉर्पोरशन बनाने के फैसले भी लिए गए हैं! ५० ग्रामीण हाट लगाकर भी किसानों को फायदा पहुँचाने का प्रयास किया है! ज़ाहिर है किसान इससे बहुत खुश हैं! पूर्व सैनिकों के परिवारों के छात्र -छात्राओं की छात्रवृत्ति को दोगुना किया गया है! भूतपूर्व सैनिकों के लिए कुछ और भी सहूलियतें दी गईं हैं जिनसे वे बहुत खुश हैं! मुख्यमंत्री ने हर तबके लिए कुछ न कुछ घोषणा ज़रूर की है! </span></b></div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;"><b><span style="color: #073763;"> राज्य सरकार के इन फैसलों से जनता का खुश होना लाज़मी है! इससे जनता का विश्वास भी राज्य सरकार पर बढ़ा है! जनता को उम्मीद है कि मुख्यमंत्री की इन कोशिशों की बदौलत राज्य के विकास की गति में अवश्य ही तेजी आएगी! इसलिए हर कोई अपने मुख्यमंत्री का आभार जता रहा है! </span></b></div></div>Tv100http://www.blogger.com/profile/18382152690723183394noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3475594057387358741.post-578120231796474612011-11-12T12:26:00.000-08:002011-11-12T13:17:48.797-08:00नहीं रुक रहा पहाड़ से पलायन!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><br />
<span class="Apple-style-span" style="color: blue; font-size: large;">आबादी से आबाद था कभी जहां</span><br />
<span class="Apple-style-span" style="color: blue; font-size: large;">आज हर तरफ वीराना है!</span><br />
<span class="Apple-style-span" style="color: blue; font-size: large;">देखा था शहर बसाने का सपना</span><br />
<span class="Apple-style-span" style="color: blue; font-size: large;">मगर सच तो बहुत डरावना है !</span><br />
<span class="Apple-style-span" style="color: blue; font-size: large;"><br />
</span><br />
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;"><b>ये पीड़ा समूचे पहाड़ की है .....आधुनिकता की चकाचौंध और रोज़मर्रा की जरूरतों के आगे इंसान इतना बेबस है कि अपना सबकुछ छोड़ वो शहरों की तरफ भाग रहा है! दो वक़्त की रोज़ी- रोटी का इंतजाम करने के लिए युवा अपना गाँव , संगी साथी और माँ-बाप तक को छोड़ कर शहरों में अपना ठिकाना बनाना को लिए बेबस हैं !</b></div><div style="text-align: justify;"><b><br />
</b></div><div style="text-align: justify;"><b>उत्तराखंड के एक अलग राज्य बनने के समय पहाड़ों के आबाद होने की उम्मीद की गई! लेकिन राज्य बनने के बाद से अब तक ६० फीसदी आबादी के पलायन से तो यही संकेत मिलता है कि ऐसा बिलकुल भी नहीं हुआ</b></div><div style="text-align: justify;"><b><br />
</b></div><div style="text-align: justify;"><b>उत्तराखंड की पहचान यहाँ के पहाड़ हैं ...यहाँ के रीति रिवाज़ हैं , यहाँ के गाँव हैं ..लेकिन उन्स्की यही पहचान अब खतरे में है गाँव के गाँव खाली हो रहे हैं..पुरानी परम्पराएँ दम तोड़ रही हैं ! इसकी सबसे बड़ी वजह पलायन है! लोग अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए शहरों का रुख कर रहे हैं क्योंकि गाँव में वे मूलभूत सुविधाओं से भी महरूम रहते हैं! इसके लिए हर कोई सरकार को ज़िम्मेदार मानता है! लेकिन सरकार को इससे से शायद कोई वास्ता नहीं है! सरकार गाँव के विकास के लिए योजनाएँ बनाती ज़रूर हैं लेकिन वो योजनाएं धरातल पर उतरने के बजाए सिर्फ कागजों पर ही सिमट कर रह जाती हैं ! </b></div><div class="MsoNormal" style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: 'Kruti Dev 010';"><span class="Apple-style-span" style="font-size: 17px; line-height: 19px;"><br />
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</span></div></div>Tv100http://www.blogger.com/profile/18382152690723183394noreply@blogger.com0